क्यूबेक कोरोना वायरस के खतरनाक लहर से जूझ रही दुनिया को कनाडा की एक रहस्यमय बीमारी ने और परेशान कर दिया है। यहां के एक प्रांत में कम से कम 48 लोगों में अनिद्रा, अंगों में शिथिलता और मतिभ्रम जैसे लक्षण दिखाई दिए हैं। इन लोगों को सपने में मरे हुए लोग दिख रहे हैं। इन सुरागों के आधार पर बीमारी का पता लगाने के लिए कनाडा के कई न्यूरोलॉजिस्ट दिन-रात एक किए हुए हैं। इससे पहले कनाडा में मैड काउ डिजीज जैसी जानवरों की बीमारी से 5 लोगों की मौत हो चुकी है। बीमारी का पता लगा रहे वैज्ञानिक दावा किया जा रहा है कि यह बीमारी सेलफोन टॉवरों के रेडिएशन से फैल रही है। वहीं, कई ऐसे भी हैं जो इसके लिए कोरोना वैक्सीन को दोष दे रहे हैं। हालांकि, उनके इस दावे की कोई भी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। इस तरह के लक्षणों ने कनाडा के मेडिकल इंस्टीट्यूशन्स को हैरान कर दिया है। अब दुनियाभर के शीर्ष न्यूरोलॉजिस्ट इस बीमारी की गुत्थी सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। कनाडा में अबतक 6 लोगों की हुई मौत बताया जा रहा है कि इस रहस्यमयी बीमारी के मरीज अटलांटिक तट पर बसे कनाडा के न्यू ब्रंसविक प्रांत में मिले हैं। जिसके बाद से यहां लोगों के बीच डर पैदा हो गया है। पिछले छह साल में इस बीमारी से दर्जनों लोग संक्रमित हुए हैं, जिनमें से छह लोगों की मौत तक हो चुकी है। न्यू ब्रंसविक प्रॉविंस के एक गांव बर्ट्रेंड के मेयर यवोन गोडिन ने कहा कि यहां के निवासी चिंतित हैं। वैज्ञानिकों के पास भी लोगों के सवालों के जवाब नहीं उन्होंने कहा कि लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह बीमारी पर्यावरण से फैल रही है? क्या यह अनुवांशिक है? या फिर मछली या हिरण का मांस खाने से फैल रही है? अगर यह सब नहीं है तो क्या है? हर कोई जवाब चाहता है। लेकिन, स्थानीय निवासियों के इन सवालों का जवाब अभी देश के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। कोरोना के कारण इस बीमारी की गंभीरता भूले अधिकारी कनाडा में आज से 15 महीने पहले कोरोना वायरस महामारी का कहर शुरू हुआ। उसी के कारण लोगों का ध्यान इस बीमारी के हट गया। कोरोना के संक्रमण को रोकने में जुटे स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस रहस्यमयी बीमारी की गंभीरता को समझने में चूक कर दी। इस बीमारी की सार्वजनिक सूचना मार्च में लोगों को मिली, जब न्यू ब्रंसविक के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एक प्रेस रिलीज में इसके बारे में बताया था। मानसिक रोगों के जांच को लेकर पर्याप्त अध्ययन की कमी इस बीमारी की जांच कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इसे लेकर धीमी प्रतिक्रिया वैश्विक महामारी के दौरान अन्य चिकित्सा स्थितियों की चुनौती को रेखांकित कर रही है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस की वीभीषिका के कारण लोग इस बीमारी को लेकर कोई खास तवज्जो नहीं दे रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि बीमारी के बारे में अस्पष्टता यह बताती है कि चिकित्सा विज्ञान में असाधारण प्रगति के बावजूद हम अभी भी मानसिक रोग या न्यूरो से जुड़ी बीमारियों की जानकारी में कितने पिछड़े हुए हैं।
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