শুক্রবার, ৪ জুন, ২০২১

Expensive Mars Soil: 9 अरब डॉलर का NASA-ESA का मंगल मिशन, आखिर क्यों इतनी कीमती है लाल ग्रह की मिट्टी?

पिछले साल जुलाई में लॉन्च किए गए अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के रोवर Perseverance ने मंगल ग्रह पर अपना काम शुरू कर दिया है। हालांकि, जीवन की खोज के मिशन में Perserverance अकेला नहीं होगा। इसके सैंपल इकट्ठा करने के बाद एक और मिशन इन्हें लेने मंगल पर जाएगा और फिर तीसरा मिशन स्पेस में ये सैंपल लेगा और धरती पर ड्रॉप कर देगा। इन तीनों मिशन की कीमत होगी 9 अरब डॉलर। आखिर इसके पीछे क्या वजह है जो मंगल की मिट्टी की कीमत इतनी ज्यादा होगी?

NASA Mars Sample Return Mission: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESA मिलकर मंगल ग्रह से सैंपल लाने पर काम कर रही हैं। इस तीन-स्टेप मिशन की कीमत 9 अरब डॉलर से ज्यादा होगी।


Expensive Mars Soil: 9 अरब डॉलर का NASA-ESA का मंगल मिशन, आखिर क्यों इतनी कीमती है लाल ग्रह की मिट्टी?

पिछले साल जुलाई में लॉन्च किए गए अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के रोवर Perseverance ने मंगल ग्रह पर अपना काम शुरू कर दिया है। हालांकि, जीवन की खोज के मिशन में Perserverance अकेला नहीं होगा। इसके सैंपल इकट्ठा करने के बाद एक और मिशन इन्हें लेने मंगल पर जाएगा और फिर तीसरा मिशन स्पेस में ये सैंपल लेगा और धरती पर ड्रॉप कर देगा। इन तीनों मिशन की कीमत होगी 9 अरब डॉलर। आखिर इसके पीछे क्या वजह है जो मंगल की मिट्टी की कीमत इतनी ज्यादा होगी?



मिनी-लैब है Perseverance
मिनी-लैब है Perseverance

बिजनस इंसाइडर की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि Perseverance के हिस्से का काम NASA को 2.7 अरब डॉलर का पड़ा है। यह अपने आप में एक बड़ी कीमत है क्योंकि मंगल पर रोवर लैंड कराना ही एक चुनौती होती है। अभी तक मंगल पर भेजे गए सिर्फ 40% मिशन कामयाब रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां से एक बड़ी जीत की कहानी शुरू होती है और आगे हर एक स्टेप का एकदम सही तरीके से पूरा होना मिशन की सफलता के लिए जरूरी होगा।

Perseverance में मोबाइल लैब, कैमरे, रेडार, एक्स-रे, स्पेक्ट्रोमीटर, ड्रिल और लेजर तक लगे हैं ताकि मंगल की चट्टानों को सही से ऑब्जर्व किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक हाई-रेजॉलूशन कैमरों की कीमत 2 करोड़ रुपये है। इसे मंगल के बर्फीले तापमान को भी झेलना है। रोवर सैंपल कलेक्ट करके रख लेगा और फिर करीब 10 साल तक इन्हें बिना किसी कंटैमिनेशन के 3000 हिस्से संभालकर रखने का काम करेंगे।



कैसे वापस आएंगे सैंपल?
कैसे वापस आएंगे सैंपल?

इसके बाद एक और रोवर को मंगल पर भेजा जाएगा। यह जिस रॉकेट में जाएगा उसके अंदर सैंपल ट्यूब लाकर रखेगा। इस रॉकेट को वापस धरती पर आने के लिए ईंधन की जरूरत होगी जिसे NASA मंगल पर ही बनाना चाहता है क्योंकि धरती से ले जाना मुश्किल होगा। ईंधन के लिए जरूरी ऑक्सिजन बनाने के लिए Perseverance में ही MOXIE डिवाइस लगी है। इसकी मदद से भविष्य में इंसानों के लिए भी ऑक्सिजन बनाने की संभावना को तलाशा जा रहा है।

तीसरा काम होगा एक स्पेसक्राफ्ट का जो मंगल से सैंपल लेकर निकले रॉकेट इंतजार कर रहा होगा। ये स्पेसक्राफ्ट सैंपल लेगा और फिर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन की मदद से धरती की ओर आएगा और एक एंट्री वीइकल में धरती पर सैंपल छोड़ देगा। इन तीनों मिशन्स की कीमत 9 अरब डॉलर पड़ेगी। इसके अलावा धरती पर इनके लौटने के बाद अनैलेसिस की कीमत अलग।



क्यों खर्च इतने संसाधन?
क्यों खर्च इतने संसाधन?

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इतने पैसे और संसाधन NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) क्यों खर्च कर रहे हैं? ESA बाद के दोनों मिशन में खर्च शेयर करेगा। दरअसल, करीब 50 साल पहले अपोलो मिशन चांद से सैंपल लेकर आया था जिनकी विज्ञान के लिए कीमत अनमोल है। अगर इतने जटिल मिशन के बाद मंगल से सैंपल लाए जा सके तो उनकी कीमत भले ही ज्यादा हो, मूल्य उससे भी ज्यादा होगा- जैसा मानव सभ्यता के इतिहास में विज्ञान ने पहले कभी नहीं देखा।





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