শুক্রবার, ৩ ডিসেম্বর, ২০২১

चीन विरोध में जल उठा सोलोमन द्वीप, ड्रैगन के नापाक मंसूबों के खिलाफ भारत को बनना होगा विकल्‍प

सुधांशु धर द्विवेदी चीन के ऊपर दुनिया को कोरोना वायरस जैसी विपदा फैलाने का आरोप लगा है। इसके बाद भी चीन न केवल कोरोना से खुद सबसे पहले बाहर आया बल्कि दुनियाभर के इस विपदा काल में भी उसकी अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रही। इसका कारण उसकी आक्रामक अर्थनीति है जो इस महत्वकांक्षी योजना को पूरा करने में लगी है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बने। चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का वन बेल्ट वन रोड जैसा बेहद महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्‍ट या दुनिया भर में ( ख़ासकर अफ्रीका में ) उनके निवेश कार्यक्रम वह इसी उद्देश्य को समर्पित हैं कि जितना जल्द हो सके चीन अमेरिका और यूरोप की जगह ले ले। चीन इसके लिए पुराने सम्राज्यवादी व उपनिवेशवादी कारनामों को दोहराने से गुरेज नहीं करता क्योंकि उसकी विदेश नीति में नैतिकता और मानवता की परिभाषा केवल एक है चीन का हित। चीन को न नैतिकता की परवाह है और न मानवता की.... वह खुलेआम तालिबान को सहायता दे रहा है। पहले भी चीन बगैर किसी की परवाह किये ऐसा करता रहा है। इधर के ताजा घटनाक्रम में बीते बुधवार को सोलोमन द्वीप में सरकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गए। 8 लाख की आबादी वाले राष्ट्र में लोग गरीबी, बेरोजगारी और अंतर-द्वीप प्रतिद्वंद्विता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इन आंदोलनकारियों द्वारा संसद पर चढ़ाई की कोशिशों के बाद दंगाई भीड़ ने तीन दिनों तक हिंसा की। चाइनाटाउन इलाके का अधिकतर हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया और भीड़ ने प्रधानमंत्री मनासेह सोगवारे के आवास को भी जलाने की कोशिश की। सोलोमन के प्रधानमंत्री ने ताइवान की जगह चीन को समर्थन देना शुरू क‍िया वस्तुतः चाइनाटाउन पर हमला सोलोमन आईलैंड के प्रधानमंत्री सोगवारे की नई चीन नीति का विरोध करते हुए हुआ है। अभी तक सोलोमन आईलैंड ताइवान को मान्यता देता आ रहा था पर अब प्रधानमंत्री ने ताइवान की जगह चीन को समर्थन देना शुरू कर दिया है। इसका सोलोमन द्वीप वासी इसलिए विरोध कर रहे हैं कि उनको ताइवान से मदद मिलती थी और इसकी वजह से यह द्वीप आस्ट्रेलिया, अमेरिका आदि की भी गुड लिस्ट में था। अब प्रधानमंत्री के नए कदम से द्वीप वासी आशंकित हैं कि चीनी महत्वाकांक्षा का ओशियाना क्षेत्र में भी विस्तार हो सकता है और इस नए कदम से द्वीप वासियों को मिल रही पुरानी सहायता भी बंद हो सकती है। चीन विरोधी हिंसा केवल सोलोमन आईलैंड में पहली घटना नहीं है , अफ्रीकी देश जाम्बिया, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में भी ऐसा हो रहा है। हालांकि चीन विरोध की आग दर्जनों देशों में धधक रही है। मलेशिया, इंडोनेशिया में भी चीनी लोग निशाने पर हैं। इसका कारण चीन की ओर से फैलाया गया कर्ज का उपनिवेशवादी जाल है। जैसे-जैसे चीन अमीर और शक्तिशाली होता जा रहा है, उसकी सोई हुई विस्तारवादी आकांक्षाएं सतह पर आने लगी हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है क्योंकि दुनिया की महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका को पछाड़कर चीन सबसे अमीर देश बन गया है। दुनियाभर के देशों की बैलेंस शीट पर नजर रखने वाली मैनेजमेंट कंसल्टेंट मैकिन्जे एंड कंपनी की रिसर्च ब्रांच की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 20 साल में दुनिया की संपत्ति 3 गुना बढ़ी है। लेकिन इस बढ़ोतरी में चीन की हिस्‍सेदारी एक-तिहाई यानी लगभग 33% है यानी चीन की संपत्ति करीब 16 गुना बढ़ी है। चीन के इस नए अवतार से सबसे बड़ा सीधा खतरा भारत को रिपोर्ट के अनुसार, साल 2000 में दुनिया की कुल संपत्ति 156 खरब डॉलर थी, जो 2 दशक बाद यानी साल 2020 के बाद बढ़कर 514 खरब डॉलर हो गई। वहीं, 2000 में चीन की कुल संपत्ति 7 खरब डॉलर थी, जो साल 2020 में तेजी से बढ़कर 120 खरब डॉलर पहुंच गई है। इस दौरान अमेरिका की संपत्ति केवल दो गुना बढ़ पाई है। साल 2020 में अमेरिकी संपत्ति 90 खरब डॉलर पर पहुंच गई है। रिपोर्ट का कहना है कि यहां प्रॉपर्टी के दामों में बहुत ज्यादा वृद्धि न होने से अमेरिकी की संपत्ति चीन के मुकाबले कम रही और वह अपना नंबर एक का स्थान गंवा बैठा। ऐसे में चीन स्वाभाविक रूप से वैसा ही करना चाहेगा जैसे भूतकाल में यूरोप अमेरिका कर चुके हैं, चीन कभी भूल नहीं सकता है कि यूरोप ने कैसे उसे खरबूजे की तरह बांट लिया था और जापान ने उसके ऊपर कितने अमानवीय अत्याचार किये थे। चीन के इस नए अवतार से सबसे बड़ा प्रत्यक्ष खतरा भारत को ही है। भारत की सीमा से लेकर ताइवान तक चीन अपनी आक्रमकता को प्रदर्शित कर रहा है किंतु भारत को अभी बहुत दूरी तय करनी है। भारत के मुकाबले चीन की नेटवर्थ 8 गुना से भी ज्यादा है। क्रेडिट सुइस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2019 में इंडिया की नेटवर्थ 12.6 खरब डॉलर पर थी। जो चीन की नेटवर्थ 120 खरब डॉलर के मुकाबले 8 गुना से भी कम है। हालांकि 2019 के बाद से भारत की नेटवर्थ के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। इस रिपोर्ट में तो भारत उभरती 10 अर्थव्यवस्थाओं में भी शामिल नहीं है। रूस, ब्राजील जैसे बड़े देश भी इससे बाहर हैं, रिपोर्ट में शीर्ष 10 देशों के बारे में जानकारी दी गयी है जिसमें चीन के बाद अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, यूके , कनाडा, आस्ट्रेलिया, जापान, मैक्सिको, स्वीडन शामिल हैं। भारत को बनना होगा चीन का विकल्‍प, खुलकर अपने हितों के लिए लड़े ऐसे में भारत को चीन के इस उभार का मुकाबला करने हेतु बहुत धैर्य व समझदारी भरी कूटनीति का सहारा लेना होगा। हमें कोरोना काल की आर्थिक गिरावट से निकल कर अपने को इस कदर मजबूत बनना होगा कि हम ऐसी जगहों पर चीन का विकल्प बन सकें जहां ड्रैगन का उग्र विरोध शुरू हो गया है, जैसे कि अफ्रीका महाद्वीप में जहां सॉफ्ट पावर के रूप में भारत का बड़ा आदर रहा है। लेकिन याद रखें चीन इन देशों में भी भारत विरोधी प्रोपेगैंडा शुरू कर चुका है , घाना , दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भारत विरोधी भावना के पीछे चीनी खुफिया एजेंसियों का हाथ हो सकता है। भारत को यह याद रखना होगा कि यदि भारत को महाशक्ति बनना है तो उसे अपनी खोल से बाहर आकर वैश्विक प्रयास करने होंगे। भारत ने वैक्सीन कूटनीति के रूप में ऐसा प्रयास भी शुरू किया था पर अचानक कोरोना की दूसरी लहर ने भारतीय तंत्र को लाचार कर दिया, इससे भारत की पर्याप्त फजीहत भी हुई। चीनी मीडिया ने तंज भी किया किया कि 'घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने।' भारत को यदि चीन के इस नए अवतार का मुकाबला करना है तो उसे खुलकर अपने हितों के लिए लड़ना होगा। पड़ोसी देशों में अपनी स्थिति मजबूत करनी होगा। हिन्द महासागर को चीन सागर बनने से रोकना होगा। पूर्वी एशिया से ज्यादा मज़बूती से संबंध बनाने होंगे। क्वाड जैसे गठबंधनों को मजबूती देनी होगी। अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में चीन विरोधी भावना का विकल्प देना होगा और इसके लिए हमें इतना सक्षम बनाना होगा कि हम एक क्षेत्रीय ताकत ( जो हमें चीन कहता है) से वैश्विक ताकत बनने की ओर बढ़ सकें। दुनिया भर में चीन के बढ़ते डर और विरोध ने भारत के लिए जो अवसर दिया है उसका फायदा उठाने का वक़्त आ गया है। लेखक- वरिष्‍ठ शिक्षाविद हैं और शिक्षण के क्षेत्र में पिछले 25 साल से सक्रिय हैं।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times
via IFTTT

Advertiser