वॉशिंगटन रूस-चीन से बढ़के तनाव के बीच की युद्धक तैयारियों को बड़ा झटका लगा है। नए बजट की सुगबुगाहट के बीच सेना ने 1600 किलोमीटर तक मार करने वाली सुपरगन के रिसर्च और डेवलपमेंट के काम को रोकने का फैसला किया है। इस मेगा तोप को बनाने में लगने वाले बजट को सेना अपने खर्च वाले सामान्य अकाउंट में ट्रांसफर करने पर विचार कर रही है। अमेरिकी सेना के सूत्रों के अनुसार, बजट की कमी के कारण इस पैसे को दूसरी एडवांस टेक्नोलॉजी को खरीदने में व्यय किया जाएगा। बजट की कमी से अधर में लटका प्रॉजेक्ट स्ट्रैटजिक लॉन्ग रेंज कैनन (SLRC) को बनाने के लिए बजट 28 मई, 2021 को जारी किया गया था। लेकिन, 2022 वित्तीय वर्ष में बजट की कमी को देखते हुए सेना ने इस प्रोग्राम के पैसे को सुपर-सिस्टम और टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट प्रोटोटाइपिंग के लिए बनाए गए टेक्नोलॉजी मेच्यूरेशन इनिशिएटिव फंड में ट्रांसफर करने का फैसला किया है। जिसके बाद साढ़े पांच अरब रुपये के भारी-भरकम फंड को तकनीकी को अपग्रेड करने वाले प्रोग्राम में इस्तेमाल किया जाएगा। शीत युद्ध के एम-65 तोप की डिजाइन पर बनाने की थी तैयारी इस तोप को शीत युद्ध के जमाने के 280 एमएम वाली एम-65 तोप की तरह बनाया जाना था। जिसमें एक चलते फिरते प्लेटफॉर्म पर इसके गन को माउंट करने की तैयारी चल रही थी। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस प्लेटफॉर्म को रेलवे लाइन पर चलने में सक्षम बनाने की कोशिश की जा रही थी। जिससे इस भारी-भरकम तोप को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया जा सके। परमाणु बम फायर कर सकती थी एम-65 तोप एम-65 तोप को शीत युद्ध के समय परमाणु बम को दागने के लिए डिजाइन किया गया था। इस तोप को एटॉमिक एनी के नाम से जाना जाता है। उस प्लेटफॉर्म को 8x8 ओशकोश एम1070 हेवी इक्विपमेंट ट्रांसपोर्टर सिस्टम (एचईटीएस) ट्रैक्टर के सामने और पीछे तीन-एक्सल ट्रेलिंग सेक्शन में माउंट किया गया था। 83-टन वजनी एम-65 को कई बार टेस्ट फायर भी किया गया, हालांकि कभी भी इसमें परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं किया गया। महाविनाशक मिसाइल खरीदने की तैयारी में अमेरिका अमेरिका 100 बिलियन डॉलर (7259105000000 रुपये) का नया महाविनाशक हथियार खरीद रहा है। इस मिसाइल की ताकत जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से लगभग 20 गुना ज्यादा है। यह मिसाइल अमेरिका से लॉन्च होने के बाद चीन की राजधानी पेइचिंग को पल भर में बर्बाद करने की क्षमता रखता है। अत्याधुनिक तकनीकी से बनी गाइडेड सिस्टम के कारण 10000 किलोमीटर की यात्रा करने के बावजूद यह मिसाइल पिन पॉइंट एक्यूरेसी के साथ अपने टॉरगेट को हिट करने में सक्षम है। अमेरिकी वायुसेना ने इस मिसाइल की 600 यूनिट के लिए ऑर्डर देने का प्लान किया है। 100 बिलियन डॉलर खर्च करने की तैयारी में अमेरिका ब्लूमबर्ग और आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिका इस घातक हथियार को बनाने के लिए लगभग 100 बिलियन डॉलर का खर्च करने वाली है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि इस हथियार का निर्माण साल 2029 तक होने की संभावना है। अगर डील की इस पूरी राशि की बात की जाए तो अमेरिका 100 बिलियन डॉलर से अगले एक साल तक 12 लाख से ज्यादा प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को वेतन का भुगतान कर सकता है।
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