শুক্রবার, ৪ জুন, ২০২১

थियानमेन चौक नरसंहार: जब चीन ने निहत्थे छात्रों पर चढ़वा दिया था टैंक, 32वीं बरसी पर दुनिया भावुक

चीन ने आज से 32 साल पहले हजारों निहत्थे छात्रों के आंदोलन को कुचलने के लिए उनके ऊपर टैंक चढ़वा दिए थे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर पीएलए की इस कार्रवाई में 10 हजार से ज्यादा छात्रों की मौत हुई थी। बताया जाता है कि ये छात्र पेइचिंग के थियानमेन चौक पर जून 1989 में लोकतंत्र बहाली के समर्थन में इकट्ठा हुए थे। आज से 3 साल पहले सार्वजनिक हुए ब्रिटिश खुफिया राजनयिक दस्तावेज में इस घटना के पल-पल का उल्लेख किया गया है। दरअसल चीन में मीडिया के ऊपर लगे कड़े सेंसरशिप के कारण आज भी उस घटना से जुड़े कई अहम जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं। चीन की सरकारी मीडिया कम्युनिस्ट पार्टी के आदेश पर केवल वही बातें ही बताती हैं जो उनके अपने फायदे की होती हैं। आज के दिन चीन ही नहीं, बल्कि हॉन्ग कॉन्ग, ताइवान, अमेरिका समेत पूरी दुनिया में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

Tiananmen Square Protest: चार जून को चीन में थियानमेन नरसंहार की 32वीं बरसी मनाई जा रही है। चार जून 1989 को थियानमेन स्क्वायर पर जमा हुए लोकतंत्र समर्थकों पर चीन सरकार ने सैन्य कार्रवाई कर खदेड़ा था। इसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी।


थियानमेन चौक नरसंहार: जब चीन ने निहत्थे छात्रों पर चढ़वा दिया था टैंक, 32वीं बरसी पर दुनिया भावुक

चीन ने आज से 32 साल पहले हजारों निहत्थे छात्रों के आंदोलन को कुचलने के लिए उनके ऊपर टैंक चढ़वा दिए थे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर पीएलए की इस कार्रवाई में 10 हजार से ज्यादा छात्रों की मौत हुई थी। बताया जाता है कि ये छात्र पेइचिंग के थियानमेन चौक पर जून 1989 में लोकतंत्र बहाली के समर्थन में इकट्ठा हुए थे। आज से 3 साल पहले सार्वजनिक हुए ब्रिटिश खुफिया राजनयिक दस्तावेज में इस घटना के पल-पल का उल्लेख किया गया है। दरअसल चीन में मीडिया के ऊपर लगे कड़े सेंसरशिप के कारण आज भी उस घटना से जुड़े कई अहम जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं। चीन की सरकारी मीडिया कम्युनिस्ट पार्टी के आदेश पर केवल वही बातें ही बताती हैं जो उनके अपने फायदे की होती हैं। आज के दिन चीन ही नहीं, बल्कि हॉन्ग कॉन्ग, ताइवान, अमेरिका समेत पूरी दुनिया में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।



ब्रिटिश दस्तावेज में मौत के आंकड़ों का खुलासा
ब्रिटिश दस्तावेज में मौत के आंकड़ों का खुलासा

इस नरसंहार के समय चीन की राजधानी पेइचिंग में तैनात तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत एलन डोनाल्ड ने लंदन पत्र भेजकर घटना का पूरा ब्योरा दिया था। पत्र में उन्होंने लिखा था कि इस घटना में कम से कम 10 हजार लोगों की मौत हुई थी। इस पत्र को ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्ज में रखा गया है। चीन में उस समय इस घटना की रिपोर्टिंग को भी चीन से बड़े पैमाने पर सेंसर कर दिया था। इस घटना की रिपोर्टिंग पर चीन में आज भी कड़े प्रतिबंध हैं।



क्या थी थियानमेन चौक की पूरी घटना
क्या थी थियानमेन चौक की पूरी घटना

जून 1989 में पेइचिंग के थियानमेन चौक पर लाखों की संख्या में लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारी इकठ्ठा हुए थे। इसमें बड़ी संख्या में छात्र और मजदूर भी शामिल थे। ये विरोध प्रदर्शन कम्यूनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव और सुधारवादी हू याओबांग की मौत के बाद शुरू हुए थे। हू याओबांग को चीन की तत्कालीन सरकार ने राजनीतिक और आर्थिक नीतियों में विरोध के कारण पद से हटा दिया था। जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी।



टैंक और गोलियों से लोगों को बनाया गया था निशाना
टैंक और गोलियों से लोगों को बनाया गया था निशाना

छह हफ्ते तक चले इस प्रदर्शन को कुचलने के लिए 3-4 जून को चीन की सेना ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे निहत्थे नागरिकों पर बंदूकों और टैंकों से कार्रवाई की। इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गये थे। इस दौरान चीनी सेना के एक टैंक को रोकने की कोशिश करते हुए एक युवक की तस्वीर प्रकाशित होने के बाद यह स्थान पूरी दुनिया में मशहूर हो गया।



थियानमेन चौक की कार्रवाई को आज भी सही बताता है चीन
थियानमेन चौक की कार्रवाई को आज भी सही बताता है चीन

चीन आज भी पेइचिंग के ऐतिहासिक थियानमेन चौक नरसंहार को पूरी तरह से सही करार देता है। साथ ही,वह कई बार कह चुका है कि देश को चलाने के लिए उसका समाजवादी राजनीतिक मॉडल सही चुनाव है। पिछले साल चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने इस प्रदर्शन को एक राजनीतिक व्यवधान करार दिया था। उन्होंने कहा था कि हम चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद को जारी रखने के लिये प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अमेरिका को वैचारिक पूर्वाग्रह दूर रखने, गलतियों को सुधारने और चीन के घरेलू मामलों में किसी भी तरह से दखलअंदाजी रोकने को कहा था।





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