বুধবার, ৩০ জুন, ২০২১

क्या हम कोविड-19 को हमेशा के लिए खत्म कर पाएंगे? - Can we eradicate Covid-19 forever in Hindi?

चेचक या स्मॉल पॉक्स एकमात्र मानव रोग है जिसे हम मिटा पाए हैं। क्या हम कोविड -19 को भी खत्म कर पाएंगे?

आइए इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करते हैं।

चेचक कैसे खत्म हुआ?

1980 में WHO ने दुनिया को चेचक से मुक्त घोषित किया था।

इससे पहले, कई शताब्दियों तक व्यापार, युद्ध, और साम्राज्यवाद की वजह से यह दुनिया भर में फैला और करोड़ों लोगों की मौत का कारण बना।

चेचक एक बेहद जानलेवा बीमारी थी - 10 में से 3 से 4 लोगों की मौत हो जाती थी। 1974 में फैली चेचक महामारी में अकेले भारत में 15000 लोगों की मौत हुई थी।

चेचक के खत्म होने के तीन प्रमुख कारक थे

  1. वैक्सीन की खोज
  2. वैश्विक सहयोग
  3. प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रम

18वीं सदी के अंत में, एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) नाम के एक वैज्ञानिक ने चेचक से लड़ने के लिए एक वैक्सीन का इजाद किया था। यह दुनिया की पहली वैक्सीन थी।

1950 तक, उत्तरी अमेरिका और यूरोप से चेचक पूरी तरह खत्म हो चुका था।

हालांकि, एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई देशों में अभी भी चेचक आम था।

जब तक कि यह हर जगह से ख़त्म नहीं हो जाता, यह हर किसी के लिए खतरा था।

इसलिए, 1967 में, WHO ने चेचक को हमेशा के लिए मिटाने के लिए एक वैश्विक योजना बनायी।

राष्ट्रों ने WHO और एक-दूसरे के साथ सहयोग किया और इस वैश्विक अभियान ने मई 1980 तक इस बीमारी को पूरी तरह से मिटा दिया।

तो, क्या हम कोविड-19 के लिए भी ऐसा कर सकते हैं?

आइए तीनो कारकों को देखें:

1. वैक्सीन की खोज

ये अब समस्या नहीं हैं। वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड समय में सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन बना कर अद्भुत काम किया है।

2. वैश्विक सहयोग

महामारी की शुरुआत के बाद से, दुनिया भर की सरकारों ने दुर्भाग्य से महामारी के लिए एक राष्ट्रवादी दृष्टिकोण अपनाया है।

शुरुआती दिनों में, कुछ ने PPE जैसे सुरक्षात्मक उपकरणों, और महत्वपूर्ण दवाओं के निर्यात को रोक दिया था।

वैक्सीन की बात आने पर भी रवैया नहीं बदला है।

अमीर देशों ने अपनी जरूरत से कई गुना ज्यादा वैक्सीन ऑर्डर की हैं,

जिससे छोटे देशों को वैक्सीन नहीं मिल पा रही है।

COVAX - जो कि गरीब देशों को टीके उपलब्ध कराने का अंतर्राष्ट्रीय प्रयास है - उसको टीकों की सप्लाई नहीं हो रही है।

भारत में कोविड वैक्सीन की भारी कमी की वजह से उनके निर्यात पर लगी रोक इसका एक बड़ा कारण है।

अमेरिका द्वारा हाल ही में अगले एक साल में COVAX को 50 करोड़ खुराक देने की घोषणा एक अच्छी शुरुआत है।

कुल मिलाकर, वैश्विक स्तर पर टीकों का उत्पादन उतनी तेजी और मात्रा में नहीं हुआ है जितने की आवश्यकता है।

इस सीमित मात्रा को लेकर खींचा-तानी चल रही है, और इतने में अरबों लोग इस संक्रमण के जोखिम में जी रहे हैं।

इसके अलावा, टीकाकरण में कमी और देरी कोरोना वायरस को और फैलने के साथ ज्यादा संक्रामक और घातक रूपों में बदलने का समय दे रही है।

पहले ही कई "वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न" ने दुनिया भर के देशो में फैल कर महामारी की तबाही को और बढ़ा दिया है।

कुल मिलाकर, कोविड -19 के वर्तमान वैश्विक दृष्टिकोण को देखते हुए, इसकी संभावना कम है कि हम कोविड को मिटाने में सफल होंगे।

तो क्या कोविड का सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा?

नहीं, ऐसा नहीं होगा।

सौभाग्यवर्ष, कोविड को पूरी तरह खत्म करना एकमात्र विकल्प नहीं है।

चेचक अकेली ऐसी बीमारी है जिसे हमने पूरी तरह खत्म किया है।

बीमारीयों को मैनेज करना सीखना हमारे लिए अधिक सामान्य है।

और एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोविड -19 के साथ भी यही होगा -
देर-सवेर ही सही, टीकाकरण होगा।
शायद आने वाले समय में कोविड की दवाई भी बन जाये।
लेकिन हम मैनेज कर लेंगे।
लॉकडाउन और क्वारंटाइन खत्म होंगे।
जैसे-जैसे वायरस के खिलाफ विश्व स्तर पर इम्युनिटी विकसित होगी,
यह एक ऐसा वायरस बन कर रह जायेगा जिसे हम एक सालाना वैक्सीन के साथ मैनेज कर पाएंगे।
दुनिया भर में फ्लू के साथ यही होता है।
अंत में, हम हालात से समझौता कर लेंगे और आगे बढ़ेंगे।
 

लेकिन क्या हमें ऐसी परिस्थिति में होना चाहिए था?

भविष्य में कोविड-19 से कई ज़्यादा खतरनाक नयी बीमारियां हमारे सामने आ सकती हैं।

इस महामारी ने दिखाया है कि विश्व ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कितना तैयार है।

वास्तव में, विश्व का असली फेलियर यह नहीं है कि कोविड महामारी को हमने इतना बढ़ने दिया।

असली फेलियर यह है कि हम भूल गए कि सबसे अधिक बल एकता में है।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी प्रकाशन के समय सटीक है। हालाँकि, जैसे-जैसे COVID-19 की स्थिति विकसित हो रही है, यह संभव है कि प्रकाशन के बाद से कुछ जानकारी और डेटा बदल गए हों। इसलिए, यदि आप इस लेख को इसके प्रकाशन के लंबे समय बाद पढ़ रहे हैं, तो हम आपको लेटेस्ट समाचार और जानकारी WHO और MoHFW से पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।



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