বুধবার, ৩০ জুন, ২০২১

22 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा बुर्ज खलीफा के आकार का ऐस्‍टरॉइड

वॉशिंगटन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चेताया है कि 250 मीटर का विशाल ऐस्‍टरॉइड 22 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती की कक्षा की ओर रहा है। यह ऐस्‍टरॉइड एक जुलाई को धरती की कक्षा के बेहद पास से गुजरेगा। नासा इस ऐस्‍टरॉइड पर वर्ष 2006 से अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। यह ऐस्‍टरॉइड लंदन आई से दोगुने और दुबई के बुर्ज खलीफा इमारत के आकार का है। इस ऐस्‍टरॉइड को '2021 GM4' नाम द‍िया गया है। नासा ने बताया कि 2021 GM4 ऐस्‍टरॉइड 110 मीटर से लेकर 250 मीटर तक चौड़ा हो सकता है। इस ऐस्‍टरॉइड की सबसे पहले पहचान 10 अक्‍टूबर 2006 को हुई थी। कुछ इसी तरह का विशाल ऐस्‍टरॉइड 2020 DM4 मई 2020 में धरती की कक्षा के पास से गुजरा था। यह ऐस्‍टरॉइड अभी 6.29 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से यात्रा कर रहा है। वैज्ञानिकों के अनुमान के आधार यह ऐस्‍टरॉइड 2021 GM4 गुरुवार एक जुलाई को धरती की कक्षा के पास पहुंच जाएगा। 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की संभावना नासा ने इस खतरनाक ऐस्‍टरॉइड की श्रेणी में रखा है। यह ऐस्‍टरॉइड हाल के दिनों में आने वाले 5 में से तीसरा है। अनुमान है कि यह ऐस्‍टरॉइड दुबई के बुर्ज खलीफा इमारत के आकार का हो सकता है। नासा इन दिनों दो हजार ऐस्‍टरॉइड पर नजर रखे हुए है जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है। क्या होते हैं Asteroids? ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।


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