শনিবার, ৫ জুন, ২০২১

Anthony Fauci Controversy: डॉ. फाउची ने जितना बताया वुहान वायरस लैब को मिलने वाला था उससे ज्यादा पैसा

वॉशिंगटन वाइट हाउस के चीफ मेडिकल अडवाइजर डॉ. ऐंथनी फाउची ने हाल ही में दावा किया था कि पांच साल में वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी को 6 लाख डॉलर का फंड दिया गया था। हालांकि, नए ईमेल सामने आए हैं जिनके मुताबिक असल में लैब को कहीं ज्यादा ग्रांट मनी मिला था। कंजर्वेटिव वॉचडॉग जुडिशल वॉच को मिले मेसेज में पाया गया है कि नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ऐलर्जी ऐंड इन्फेक्शियस डिजीज ने लैब को 2019 तक 6 साल में 8.26 लाख डॉलर दिए। ये फंड न्यूयॉर्क के ईकोहेल्थ अलायंस के जरिए दिया गया था। कई इंस्टॉलमेंट में फंडिंग कोरोना वायरस महामारी के फैलने के साथ ही वुहान की लैब दुनियाभर के सवालों के घेरे में थी। अब इसे अमेरिका से फंडिंग मिलने पर नया विवाद खड़ा हो गया है। एक ईमेल में मिले चार्ट में पता चलता है कि वुहान लैब को 2014 में 1.33 लाख डॉलर और 2015 में 1.39 लाख डॉलर फंड दिया गया था। इसके बाद तीन साल में 1.59 लाख डॉलर फंड दिया गया लेकिन 2019 में इसे 76 हजार डॉलर कर दिया गया। मिलने वाला था और ज्यादा ग्रांट 13 अप्रैल, 2020 को NIAID अधिकारी डॉ. एमिली अर्बेलडिंग के एक मेल में पता लगता है कि 2019 की फंडिंग ईकोहेल्थ को नए ग्रांट के तहत पहला इंस्टॉलमेंट थी जिससे लैब को 6 साल में 7.5 लाख डॉलर और मिलने वाले थे। 2014-2019 के बीच ईकोहेल्थ को 30.75 लाख डॉलर ग्रांट मनी चमगादड़ से कोरोना वायरस इमर्जेंसी को समझने पर खर्च किए जाने थे। बाद में रोक दिया गया बचा हुआ फंड फाउची ने वुहान लैब को फंड किए जाने को सम्मानित चीनी वैज्ञानिकों के साथ कोलैबरेशन बताया है जो कोरोना वायरस पर वर्ल्ड एक्सपर्ट्स हैं। एक ईमेल में ईकोहेल्थ की स्टडी को कई जगहों में किए जाने की बात कही गई। इनमें से एक वुहान भी थी। इसके अलावा थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया और म्यांमार को भी चुना गया था। इस ईमेल का पता लगने के बाद NIH ने ईकोहेल्थ अलायंस को बताया कि बचा हुआ ग्रांट मनी नहीं दिया जाएगा।


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