শুক্রবার, ৪ জুন, ২০২১

सियाचीन, फर्कहोर और कश्मीर...तजाकिस्तान को हथियार बेच भारत को घेर रहा पाकिस्तान, जानें कैसे?

इस्लामाबाद कश्मीर और सियाचीन में भारत को मात देने के लिए पाकिस्तान अब मध्य एशियाई देश तजाकिस्तान को फांसने की कोशिश कर रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमाम अली रहमान के स्वागत में इमरान खान ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी अगवानी करने के लिए इमरान के विशेष निर्देश पर पाकिस्तानी एयरफोर्स के जेफ-17 थंडर विमानों ने तजाकिस्तानी राष्ट्रपति के प्लेन को एस्कॉर्ट भी किया। इमरान के साथ तजाकी राष्ट्रपति ने की डील इस्लामाबाद में इमरान खान और इमाम अली रहमान के बीच हुई बैठक में हथियारों की खरीद को लेकर बड़ा समझौता साइन हुआ। पाकिस्तान आने वाले दिनों में तजाकिस्तान को लाखों डॉलर के स्वदेशी हथियारों की सप्लाई करेगा। इससे तजाकिस्तान की सेना की ताकत में भी इजाफा होगा। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इस डील में अधिकतर छोटे हथियार शामिल हैं। तजाकिस्तान को हथियारों की क्या है जरूरत? तजाकिस्तान का अपने पड़ोसी देश किर्गिस्तान के साथ सीमा को लेकर विवाद है। एक महीने पहले ही दोनों देशों के बीच जंग के हालात बन गए थे। इस झड़प के दौरान 50 से ज्यादा लोगों की मौत भी हुई थी। पूरा मध्य एशिया पानी की कमी से जूझ रहा है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में स्थित देशों के बीच अक्सर विवाद होता रहता है। यही कारण है कि तजाकिस्तान को हथियारों की जरूरत आन पड़ी है। तजाकिस्तान को पाकिस्तान ही क्यों मिला हथियार विक्रेता? दरअसल, हालात के मारे दोनों देश एक दूसरे की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है। इमरान खान को यह लगता है कि वह अपने देश में बने जंगी हथियारों को बेंचकर देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाल सकते हैं। वहीं तजाकिस्तान भी इतना धनी देश नहीं है कि वह अमेरिका, रूस या फ्रांस जैसे देशों से अत्याधुनिक हथियार खरीद सके। इन देशों से हथियार लेने के लिए तजाकिस्तान को तुरंत पैसा भी चुकाना होगा, वहीं पाकिस्तान के साथ ऐसी समस्या नहीं है। भारत के एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डे पर पाकिस्तान की नजर? तजाकिस्तान को पाकिस्तान हर कीमत पर अपना खास दोस्त बनाना चाहता है। इसका एकमात्र कारण तजाकिस्तान का है। इस एयरबेस को 1996-97 से भारतीय वायु सेना ऑपरेट करती है। दरअसल, उस समय भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ इस एयरबेस का इस्तेमाल अफगानिस्तान के नॉर्दन अलायंस की सहायता करने के लिए करती थी। भारत ने यहां छोटा मिलिट्री हॉस्पिटल भी शुरू किया था, जिसे मैत्री हॉस्पिटल भी कहा जाता है। यहां तालिबान से लड़ाई में घायल अफगान नॉर्दन एलायंस के जवानों का इलाज किया जाता था, हालांकि वर्तमान में इस एयरबेस की स्थिति को लेकर कोई आम जानकारी उपलब्ध नहीं है। भारत के लिए क्यों अहम है तजाकिस्तान? तजाकिस्तान की सीमा भारत से सीधी तो नहीं जुड़ती लेकिन, यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और चीन का पड़ोसी होने के कारण इसकी अहमियत ज्यादा है। यहां से दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचीन पर कड़ी नजर रखी जा सकती है। भारत इसलिए भी तजाकिस्तान के फर्कहोर एयरबेस का इस्तेमाल करता है। भारत यहां से पाकिस्तान और चीन की हवाई हरकतों पर नजर भी रख सकता है।


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