कीव/मास्को यूक्रेन को लेकर दुनिया की दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिकी बॉम्बर यूरोप में गश्त लगा रहे हैं, वहीं रूस ने भी हाइपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ऐलान किया है कि रूस अगर यूक्रेन पर हमला करता है तो वह मास्को के खिलाफ बेहद कड़े प्रतिबंध लगाएंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका अगर रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाता है तो इससे भारत की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। यही नहीं S-400 एयर डिफेंस डील पर भी संकट आ सकता है। सिंगापुर में रह रहे अंतरराष्ट्रीय मामलों के नामचीन विशेषज्ञ सी राजामोहन ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि जब दुनिया की महाशक्तियां लड़ना शुरू कर देती हैं तो विदेशी नीति को संभालना काफी मुश्किल होता है। भारत को लेकर सी राजामोहन ने कहा कि रूस के खिलाफ गंभीर प्रतिबंध लगते हैं और अमेरिका भारत को मिली छूट को रोक देता है तो इससे भारत-रूस के बीच एस-400 डील पर प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं हमें यूक्रेन से हजारों की तादाद में भारतीय लोगों को निकालना होगा। रूस ने यूक्रेन में कराया जनमत संग्रह तो पाकिस्तान को मिलेगा मौका सी राजामोहन ने कहा कि रूस-यूक्रेन की जंग से तेल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी और महंगाई अपने चरम पर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा, 'भारत के लिए सबसे बड़ी मुश्किल तब होगी जब रूस यूक्रेन में जनमत संग्रह की मांग करने लगता है। रूस ने क्रीमिया पर इस आधार पर कब्जा कर लिया था, क्योंकि वहां पर मास्को के मुताबिक 90 फीसदी लोगों ने रूस के साथ जुड़ने का समर्थन किया था। जनमत संग्रह आपको इस बात की अनुमति देता है कि जातीय और धार्मिक एकजुटता के नाम पर दूसरे के क्षेत्र पर कब्जा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर रूस ऐसा करता है तो कल को पाकिस्तान भी पीओके में जनमत संग्रह करवाकर यही दावा कर सकता है। इससे पहले जब क्रीमिया में जनमत संग्रह हुआ था, कश्मीर के अलगाववादी गुट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने इसका स्वागत किया था। राजामोहन ने कहा कि भारत इसके बारे में बात नहीं करना चाहता है क्योंकि रूस हमारा दोस्त है। हालांकि अगर यूक्रेन में जनमत संग्रह होता है तो मुझे संदेह है कि भारत इसका समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि अगर यह जंग होती है तो भारत पर रूस और अमेरिका दोनों का ही दबाव आ जाएगा। भारत के आर्थिक हित पश्चिमी देशों के साथ जुड़े हुए विदेशी मामलों के विशेषज्ञ ने कहा कि रूस जहां भारत का वर्षों पुराना दोस्त है, वहीं अमेरिका क्वॉड के जरिए चीन के खिलाफ भारत से दोस्ती मजबूत कर रहा है। यही नहीं भारत के आर्थिक हित पश्चिमी देशों के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक छोटा देश नहीं है और यह दुनिया की तीसरी बड़ी ताकत बनने की ओर अग्रसर है। हम इस मसले पर सख्त कदम उठा सकते हैं ताकि भारतीय हितों की रक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times
via IFTTT