সোমবার, ১১ অক্টোবর, ২০২১

ओपिनियन: 'परमाणु बॉम्‍बर भेज धमका रहा चीन, ताइवान के साथ खुलकर खड़ा हो दोस्‍त भारत'

ताइपे ताइवान के राष्‍ट्रीय दिवस पर 10 अक्‍टूबर को देश की राष्‍ट्रपति त्‍साई इंग वेन ने एक जोरदार, दृढ़ इरादों वाला और स्‍पष्‍ट भाषण दिया। इस भाषण में ताइवानी राष्‍ट्रपति ने चीन के साथ रिश्‍तों पर अपने देश का मत रखा। साथ ही राष्‍ट्रपति त्‍साई इंग वेन ने ताइवान स्‍ट्रेट में शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए चीन के साथ बातचीत की इच्‍छा जताई। इस बीच ताइवानी राष्‍ट्रपति ने यह पर्याप्‍त रूप से स्‍पष्‍ट कर दिया कि ताइवान की संप्रभुता और स्‍वतंत्रता देश के नेतृत्‍व के लिए सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है। ताइवानी राष्‍टपति ने कहा, 'इस बात का भ्रम नहीं होना चाहिए कि ताइवान की जनता दबाव के आगे झुकेगी।' त्‍साई इंग वेन का इशारा चीनी सेना की ओर था जो लगातार ताइवान के दक्षिणी-पश्चिमी एयर डिफेंस आईडेंटिफ‍िकेशन जोन (ADIZ) में घुसपैठ कर रही है। गत 1 अक्‍टूबर से 5 अक्‍टूबर के बीच अब तक 150 चीनी फाइटर जेट ताइवान के ADIZ में घुसपैठ कर चुके हैं। चीनी सेना की ताइवान के प्रति दादागिरी घरेलू और विदेशी कारणों से है। चीन के बढ़ते घुसपैठ की ये हैं प्रमुख वजहें चीन ने अपना राष्‍ट्रीय दिवस एक अक्‍टूबर को मनाया था और इसी दौरान चीनी घुसपैठ काफी बढ़ गई। यह बताता है कि चीनी लड़ाकू विमानों की घुसपैठ अपनी जनता को दिखाने के लिए था। चीन अपनी जनता को यह दिखाना चाहता है कि चीनी नेतृत्‍व ताइवान को उसकी मुख्‍य भूमि से मिलाएगा और 'विदेशी ताकतें उसके आंतरिक मामले में हस्‍तक्षेप नहीं कर सकती हैं।' इसके साथ एक अन्‍य प्रमुख वजह दुनियाभर में ताइवान की बढ़ती लोकप्रियता है। ताइवान में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के 1992 की सहमति को खारिज करने और ताइवान के भविष्‍य के लिए देश की जनता पर फोकस करने से चीन के साथ बातचीत ठप हो गई और बीजिंग तथा ताइपे के बीच तनाव बढ़ गया। चीन ने कोशिश की कि ताइवान का दुन‍ियाभर में प्रभाव कम हो जाए। इसके लिए चीन ने ताइवान के दोस्‍तों को लालच देना शुरू किया और अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों में ताइवान की भागीदारी को प्रतिबंधित करना शुरू किया। हालांकि कोरोना संकट ताइवान के लिए वरदान बनकर आया और ताइवान ने इस संकट को अवसर में बदल दिया। 'ताइवान और भारत एक जैसे खतरे का सामना कर रहे' ताइवान ने बिना राजनयिक संबंध के भी कई देशों को मास्‍क, पीपीई किट, ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर आदि दिए। ताइवान के कोरोना पर सफलतापूर्वक प्रतिबंध लगाने से भारत में जागरूकता बढ़ी। पिछले दो साल में ताइवान को मिल रही अंतरराष्‍ट्रीय सहायता चीनी नेतृत्‍व को रास नहीं आ रही है। इसकी वजह से भी चीन ने ताइवान के प्रति अपनी दादागिरी को बढ़ा दिया है। ताइवान और चीन के बीच हालात बहुत चिंताजनक बने हुए हैं। ताइवान को चीन से खतरा बना हुआ है। इन नतीजों का बुरा असर न केवल ताइवान पर पड़ रहा है बल्कि भारत समेत हिंद प्रशांत क्षेत्र के अन्‍य साझेदारों पर पड़ रहा है। भारत और ताइवान दोनों ही एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। चीन एक ऐसा पड़ोसी जो आक्रामक है और सेना के बल पर भारत तथा ताइवान के खिलाफ दादागिरी दिखा रहा है। चीन बातचीत के बाद भी लद्दाख में सैन्‍य जमावड़ा बढ़ा रहा है। भारत और ताइवान दोनों ही लोकतंत्र हैं और दोनों के साझा हित और समान चिंताएं हैं। हकीकत यह है कि भारत और चीन दोनों ही चीन के साथ तनाव को कम करना चाहते हैं। साथ चीनी नेतृत्‍व से अपील कर रहे हैं कि वे यथास्थिति का सम्‍मान करें। भारत और ताइवान दोनों ने ही यह दिखा दिया है कि वे अपनी-अपनी संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। 'नई दिल्‍ली को ताइवान के प्रति एकजुटता दिखानी चाहिए' हालांकि इन सभी समानताओं और साझा चिंताओं के बाद भी भारत मुख्‍य रूप से अपने लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद की वजह से अभी थोड़ा सतर्क बना हुआ है। भारत खुलेआम ताइवान के मुद्दे पर कोई बयान नहीं जारी करता है। लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत में एक नीतिगत बदलाव हुआ है। भारत चुपचाप तरीके से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ताइवान का एक भागीदार बना हुआ है। भारत ने ताइवान के प्रति रुचि को जाहिर किया है और उसके साथ आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में पूरे जोश के साथ काम कर रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का रुख समावेशी है, इसलिए नई दिल्‍ली को ताइवान के प्रति एकजुटता दिखानी चाहिए। साथ ताइवान के साथ मिलकर काम करने के लिए रास्‍ते तलाश करने चाहिए। यह दोनों के लिए लाभदायक होगा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के उद्देश्‍यों को गति देगा। अब वह समय आ गया है कि भारत यह समझे कि चीन की आक्रामकता को पीछे ढकेलने के लिए सामूहिक प्रतिक्रिया के रास्‍ते को तलाश करने की जरूरत है। इस जवाबी कार्रवाई में ताइवान को शामिल किया जाना आवश्‍यक है। लेखिका साना हाशिमी ताइवान-एशिया एक्‍सचेंज फाउंडेशन में विजिटिंग फेलो हैं।


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