वॉशिंगटन ऐस्टरॉइड, परमाणु युद्ध जैसे महाविनाशक खतरों के बीच इंसानों के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक तरह-तरह के तरीकों पर काम कर रहे हैं। ताजा मामले में वैज्ञानिकों के एक दल ने एक ऐसे भूमिगत बंकर का डिजाइन तैयार किया है जो चंद्रमा पर बनाया जा सकता है। इंसान की महाविनाश से रक्षा करने वाला बंकर वैश्विक बीमा पॉलिसी के रूप में काम कर सकता है। वैज्ञानिकों को मानना है कि इस प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए 250 रॉकेट लॉन्च करने होंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बंकर चांद पर सौर ऊर्जा से चलेगा और पृथ्वी पर प्रलय की सूरत में इंसानी सभ्यता की रक्षा करेगा। इस बंकर के अंदर बीज, इंसान के स्पर्म और अंडाशय के लिए अलग-अलग जगह होगी। इस बंकर की योजना प्रफेसर जेकान थांगा ने दी है। थांगा ने कहा कि चंद्रमा पर वातावरण ठंडा है जो इंसान और फसलों को पैदा करने के लिए जरूरी सामान को सुरक्षित रखने के लिए बेहद मुफीद है। बंकर में रखे जा सकते हैं 67 लाख प्रजातियों के बीज, स्पर्म और अंडाशय नार्वे के स्वालबार्ड में बनाए गए बीज बैंक में महाविनाश से बचाने वाली तिजोरी बनाई है जिसमें हजारों की तादाद में बीजों के नमूनों को रखा गया है। वहीं प्रफेसर थांगा का मानना है कि धरती पर सीडबैंक को धरती पर रखना खतरनाक साबित हो सकता है। इसकी बजाय वह चाहते हैं कि 67 लाख प्रजातियों के बीज, स्पर्म और अंडाशय को चंद्रमा पर बंकर के अंदर रखा जाए ताकि धरती पर महाविनाश की स्थिति में मानवता को बचाया जा सके। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरिजोना में प्रफेसर थांगा ने कहा कि धरती पर प्राकृतिक रूप से बहुत तेजी से बदलने वाला पर्यावरण है।' उन्होंने बताया कि करीब 75 हजार साल पहले महाविनाशक टोबा ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट की वजह से करीब 1 हजार साल तक पृथ्वी ठंडी होती रही। प्रफेसर थांगा ने कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन, वैश्विक महामारी और परमाणु युद्ध से होने वाले महाविनाश से इंसान को बचाने के लिए एक योजना पर काम करना होगा। चंद्रमा नमूनों को सुरक्षित रखने के लिए एक बेहतरीन जगह वैज्ञानिकों ने कहा कि चांद पर लावा ट्यूब्स का नेटवर्क है जो सोलर रेडिएशन, उल्कापिंडों और अन्य खतरनाक चीजों से इंसान की ओर से रखे गए नमूनों की रक्षा कर सकता है। इस प्रॉजेक्ट की टीम ने कहा कि इस वजह से चंद्रमा नमूनों को सुरक्षित रखने के लिए एक बेहतरीन जगह है जिसे लंबे समय तक बहुत ठंडा रखना होता है। साथ ही उसे हजारों साल तक कोई छुए नहीं। प्रफेसर थांगा ने आशा जताई अंतरिक्ष यात्रा का खर्च कम होगा और वे अपनी योजना को अंतिम रूप दे सकेंगे।
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