বৃহস্পতিবার, ১০ ফেব্রুয়ারী, ২০২২

हिजाब के खिलाफ ईरान की लड़कियों ने कर दी थी 'क्रांति', मिस्र- तुर्की में भी है 'बैन'

तेहरान भारत के कर्नाटक राज्‍य में मुस्लिम लड़कियों के स्‍कूलों के अंदर हिजाब पहनने को लेकर विवाद गर्माया हुआ है। इस मुद्दे को पाकिस्‍तान सरकार और वहां के नेता भी हवा देने में लगे हुए हैं। हिजाब विवाद को लेकर मुस्लिमों को भड़काने की पाकिस्‍तानी कोशिश पर एआईएमआईएम के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने करारा जवाब दिया है। स्‍कूल-कॉलेज और ऑफिस में हिजाब पहनने का मुद्दा भारत ही बल्कि दुनिया के कई मुस्लिम देशों में विवाद का विषय बना हुआ है। ईरान में तो लड़कियों ने साल 2017 में इसके खिलाफ जैसे 'क्रांति' सी कर दी थी जिसे अयातुल्‍ला खमनेई की सरकार ने ताकत के बल पर कुचलने का प्रयास किया। आइए जानते हैं क्‍या है पूरा मामला.... ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की शुरुआत महिला अधिकार कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद ने की थी। इसके बाद हजारों की तादाद में महिलाएं इस आंदोलन में शामिल हुईं। ये महिलाएं हिजाब को अनिवार्य रूप से पहने जाने का विरोध कर रही थीं। दरअसल, एक ईरानी महिला पहाड़ों पर जा रही थी और ताजी हवा कें झोंकों में उसने हिजाब को हटा दिया। इससे उसके बाल उड़ने लगे। मसीह अलीनेजाद ने इसे अपने कैमरे में कैद लिया और यही विरोध की नींव पड़ी। ईरान में साल 1979 की इस्‍लामिक क्रांति के बाद से हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। ईरान में विदा मोवाहेड को अरेस्‍ट किया गया मसीह अलीनेजाद के तस्‍वीर शेयर करने के बाद ईरानी सोशल मीडिया पर जैसे बिना हिजाब के तस्‍वीरों की बाढ़ सी आ गई। #MyStealthyFreedom हैशटैग के साथ ईरान में सोशल मीडिया पर जोरदार अभियान शुरू हो गया। इसके बाद 27 दिसंबर 2017 को ईरान में विदा मोवाहेड को अरेस्‍ट कर लिया गया। विदा की तेहरान की सड़क पर शांति के साथ हिजाब को लहराने की तस्‍वीर पूरी दुनिया में वायरल हो गई थी। इस गिरफ्तारी का जमकर विरोध हुआ और 27 जनवरी को सरकार उन्‍हें छोड़ना पड़ा था। ईरान में जब साल 1979 में इस्‍लामिक क्रांति के बाद हिजाब को अनिवार्य किया गया था तब भी बड़ी संख्‍या में महिलाओं ने इसका विरोध किया था। साल 2018 में ईरान सरकार ने इस विरोध प्रदर्शन को ताकत के बल पर कुचलने का प्रयास किया और करीब 35 प्रदर्शनकारी महिलाओं को अरेस्‍ट किया गया था। यही नहीं पुलिस ने धमकी दी थी कि अगर किसी ने प्रदर्शन किया तो उसे 10 साल के लिए जेल में डाल दिया जाएगा। ईरान में जारी इस प्रदर्शन में कई पुरुष भी महिलाओं के समर्थन में आ गए थे। ईरान में हिजाब का विरोध आज भी जारी है। मेकअप करने वाली महिलाओं पर क्‍या बोले थे खमनेई ईरान में इस्‍लामिक क्रांत‍ि को अंजाम देने वाले नेता अयातुल्‍ला रुहोल्‍लाह खमनेई ने साल 1979 में हिजाब पर कहा था कि महिलाएं लिहाज के साथ कपड़ें पहनें। उन्‍होंने कहा था कि ये जो मेकअप करने वाली, गर्दन‍ दिखाने वाली और अपने शरीर को दिखाने वाली महिलाएं हैं, वे नखरेबाज हैं और उन्‍होंने शाह के लिए सड़कों पर लड़ाई नहीं लड़ी थी। उन्‍होंने कुछ भी ईमानदारी के साथ नहीं किया। वे ये भी नहीं जानती हैं कि समाज के लिए कैसे सार्थक बना जाए। मिस्र और तुर्की में हिजाब पर लगा है 'बैन' हिजाब को लेकर दुनिया के देशों में अलग-अलग नियम हैं। मिस्र के उच्‍च प्रशासनिक अदालत ने साल 2020 में काहिरा यूनिवर्सिटी के उस फैसले को अनुमति दे दी थी जिसमें प्रफेसरों को हिजाब और न‍िकाब पहनने पर रोक लगा दिया था। इसको लेकर मिस्र में कई वर्षों से बवाल चल रहा था कि क्‍या सार्वजनिक जगहों पर नकाब को बैन करना निजी स्‍वतंत्रता का उल्‍लंघन है। कोर्ट के फैसले के बाद यह विवाद खत्‍म हो गया। यही नहीं तुर्की में भी सरकार प्राइवेट सेक्‍टर के ऑफिस में ह‍िजाब पहनने पर बैन लगा चुकी है। यही नहीं सरकारी दस्‍तावेजों जैसे लाइसेंस, पासपोर्ट, यूनिवर्सिटी में नामांकन के दौरान फोटो लेते समय हिजाब पहनना भी बैन है।


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