শুক্রবার, ৪ জুন, ২০২১

अपने स्पेस स्टेशन में 'खतरनाक' टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रहा चीन, मंगल पर जाने में लगेंगे सिर्फ 39 दिन

पेइचिंग चीन के तियांगॉन्ग (Tiangong) स्पेस स्टेशन को ऐसी टेक्नॉलजी से बनाया जा रहा है जिससे मंगल पर जाने का समय बेहद कम किया जा सकता है। आयॉन थ्रस्टर्स (Ion Thruster) की मदद से मंगल पर जाने में ईंधन की खपत भी कम होगी। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि स्पेस स्टेशन का पहला मॉड्यूल Tianhe इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रहा है। क्यों होते हैं बेहतर? इसमें 4 आयॉन थ्रस्टर लगे हैं। ये प्रोपल्शन के लिए बिजली के इस्तेमाल से आयॉन्स को एक्सलरेट करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मॉड्यूल जल्द ही इतिहास में पहली बार इस टेक्नॉलजी से इंसानों को ले जाने वाला स्पेसक्राफ्ट बन सकता है। आयॉन ड्राइव्स केमिकल प्रोपल्शन से कई गुना ज्यादा बेहतर होते हैं। चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेज के मुताबिक इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन को एक साल तक कक्षा में रखने के लिए ये 4 टन रॉकेट फ्यूल लेते हैं। आयॉन थ्रस्टर इतने समय के लिए सिर्फ 400 किलो की जरूरत होगी। इसकी मदद से मंगल पर 6-8 महीनों में नहीं 39 दिन में पहुंचा जा सकेगा। चीन न सिर्फ स्पेस स्टेशन बल्कि सैटलाइट समूहों और परमाणु ऊर्जा से चलने वाले स्पेसक्राफ्ट्स के लिए भी इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करना चाहती है। पुरानी है टेक्नॉलजी यह टेक्नॉलजी दशकों पुराने है लेकिन अभी तक पर्याप्त मात्रा में थ्रस्ट की वजह से ऐस्ट्रोनॉट्स के जीवन और सैटलाइट के ऊपर खतरा बन जाता था। अब CAS ने हाल ही में 11 महीने लगातार इसका इस्तेमाल किया है। मैग्नेटिक फील्ड की मदद से यह सुनिश्चित किया जाता है कि पार्टिकल्स इंजिन को कोई नुकसान न पहुंचाएं। वहीं, एक खास सेरेमिक मटीरियल रेडिएशन से बचाता है।


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